कविता की रचना समय का सफर पर की गई

गैस सिलेंडर से अच्छा थावन वन कि वो लकड़ी |माटी के चूल्हे में जोधु धु करके जलती थी | घर घर में माटी का चूल्हामुफ्त में वनों की लकड़ी|जलती थी धु धु करकेवन वन की वो लकड़ी| स्वादिष्ट भोजन बनता थालोहा कढ़ाई पीतल पतेलो में |आज जमाना बदल गयाबनता एलुमिनियम पतेलो में| स्वादिष्ट भोजन आज … Read more

कविता की रचना वक़्त पर कि गई |

आज बढते जा रहे होपर घमंड इतना न कर |उन दिनों को याद करलोजब थे तुम धरती के तल | राहो में बढते चलो तूमख्याल यह रखना तुम्हे |जो जमी पर गिर पड़े है,उन्हें भी उठाना है तुम्हे | सिर पर तुम्हारे हाथ जिनकाकुछ तो कर उनके लिए |जो लल्ला कर तुम्हे पुकारेमुहं न मोड … Read more

कविता की रचना बीते हुए समय पर कि गई |

कविता की रचना बीते हुए समय पर कि गई बीती रात, भौरकाल आयाचिड़िया चू चू करने लगती |गुन गुन करते आते भंवरेतब फूलों को चूमने लगते|बीती रात, भौरकाल आया | सुनकर आवाज चिडियों कीनींद से जागने जब लगतें हैं |पानी को लोटे में लेकरमुहं को धोने तब लगते हैं | भौरकाल समय जब होतालोग भ्रमण … Read more

आशा की किरण पर कविता की रचना की गई

एक किरण आशा कि देखीवो भी आकर चली गई |जो किरण सूरज ने दिखाईवह बादलो में ढक कर रह गई| सपना देखा या कल्पना थी,ये भी सोचता रह गया |भंवरे की भांति मैं तोगुन गुन करता रह गया |एक किरण आशा कि देखी | टूटते हुए, चट्टानों को देखागिरते हुए झरनों को देखा |डूबती हुई … Read more