कविता की रचना बीते हुए समय पर कि गई
बीती रात, भौरकाल आया
चिड़िया चू चू करने लगती |
गुन गुन करते आते भंवरे
तब फूलों को चूमने लगते|
बीती रात, भौरकाल आया |
सुनकर आवाज चिडियों की
नींद से जागने जब लगतें हैं |
पानी को लोटे में लेकर
मुहं को धोने तब लगते हैं |
भौरकाल समय जब होता
लोग भ्रमण करने जाते |
चिड़िया रैन बसेरे छोडकर
दूर दूर उडंने लग जाते |
बीती रात भौरकाल आया
मृग अपने पखेरू छोड़कर
भौरकाल में दौडते दिखते |
मयूर नृत्य करते हुए
तब वनो में दिखने लगते |
खिलते हुए फूल बागो में
दूर दूर से दिखने लगते |
मधुमेह भी आकर फूलों को
तब बागों में चूमने लगतें |
हाथो में छड़ी पकड़े लोग
भौरकाल में भ्रमण करते |
शुद्ध वातावरण उन्हें मिलता
बीमारीयों से मुक्त रहते |
बीती रात भौरकाल आया
चिड़िया चू चू करने लगती |
गुन गुन करते आते भंवरे
तब फूलों को चूमने लगते |
कविता की रचना बीते हुए समय पर कि गई |
एक समय था ,जब लोग गाँव में रहते थे, उस
समय शहरों की ओर लोगों का आना जाना बहुत कम होता था,अधिकांश लोग गाँव में अपना कुटिल उधोग जैसे भेड़ बकरी गाय भैंस, बैल मुर्गी, मुर्गा, पालने का कार्य करते थे| इसके अलावा लोग गाँव में खेती बाड़ी का काम भी करते थे, लोगों के पास आमदनी का एक मात्र साधन कुटिल उधोग व खेती से ही होता था |लोगों के पास उस समय घड़ी, रेडियो टेलीविजन, जैसे संसाधन नहीं थे, लोग दिन में खेतों में काम करते व अपना कुटिल उधोग जैसे कार्य करते और रात को जब सोते थे उन्हें जगाने का एक मात्र साधन था, पाले हुए मुर्गा या चिड़िया जिनका पेड़ों पर डेरा होता था, वह सुबह भौरकाल में चु चु करते हुए लोगों को जगाते थे |इससे लोगों को पता चलता था, अब रात बीत गई और सुबह हो गया है तब लोग उठकर अपने हाथ में छड़ी पकड़ कर दूर दूर तक भ्रमण करने जातें थे, उन्हें अनेक प्रकार के जंगली जानवर देखने को मिलतें थे, कहीं वनों में मोर नाचता हुआ दिखता तो कहीं दौडते हुए हिरण जंगलों में दिखते सुबह का नजारा बहुत सुन्दर देखने को मिलता था और इसके अलावा लोगों को शुद्ध वायु,पीने के लिए शुद्ध जल व खाने के लिए अनेक प्रकार की जडीबुटी मिलती थी, जिससे लोगों को बीमारीयां नहीं लगतीं थी,और लोग स्वयंम बीमारी का उपचार भी गाँव में ही कर लेते थे जबकि लोग उस वक़्त पढ़े लिखे कम होतें थे फिर भी उन्हें बहुत अधिक ज्ञान होता था आज की नई पीढ़ी पढ़ लिख कर रोजगार के लिए शहरों कि ओर भागते है, लेकिन गाँव में कोई भी अपना कारोबार करने को तैयार नहीं| जबकि आज गाँव में भी संसाधनों की कमी नहीं फिर भी लोग शहरों कि ओर भागते है और घुट घुट कर जीवन व्यतीत करते हैं जो सुंदर वातावरण स्वच्छ जल, चारों ओर शुद्ध हवाऐं जो गाँव में है वह शहरों में कहा मिलेगी कविता में बीते समय की यादों को सुंदर लेख पर प्रस्तुत किया गया |
लेखक—-मनवर सिंह