कविता की रचना समय का सफर पर की गई

गैस सिलेंडर से अच्छा थावन वन कि वो लकड़ी |माटी के चूल्हे में जोधु धु करके जलती थी | घर घर में माटी का चूल्हामुफ्त में वनों की लकड़ी|जलती थी धु धु करकेवन वन की वो लकड़ी| स्वादिष्ट भोजन बनता थालोहा कढ़ाई पीतल पतेलो में |आज जमाना बदल गयाबनता एलुमिनियम पतेलो में| स्वादिष्ट भोजन आज … Read more

कविता की रचना वक़्त पर कि गई |

आज बढते जा रहे होपर घमंड इतना न कर |उन दिनों को याद करलोजब थे तुम धरती के तल | राहो में बढते चलो तूमख्याल यह रखना तुम्हे |जो जमी पर गिर पड़े है,उन्हें भी उठाना है तुम्हे | सिर पर तुम्हारे हाथ जिनकाकुछ तो कर उनके लिए |जो लल्ला कर तुम्हे पुकारेमुहं न मोड … Read more

वनस्पतियों में पाई जाने वाली प्रजाति बिच्छू बूटी | –

वनस्पतियों-में-पाई-जाने-वाली-प्रजाति-बिच्छू-बूटी

पहाड़ी इलाकों में अनेक प्रकार की वनस्पति पाई जाती हैं |जिनमें से एक प्रजाति बिच्छू बूटी वनस्पति है, इसे उतराखंड की भाषा में कंडाली का पौधा कहा जाता है| पौधे की विशेषता — इस पौधे का आकार लगभग 2 से 4 फीट तक फैलता है और इसकी ऊचाई 3 से 5 फीट तक होती है … Read more

कविता की रचना बीते हुए समय पर कि गई |

कविता की रचना बीते हुए समय पर कि गई बीती रात, भौरकाल आयाचिड़िया चू चू करने लगती |गुन गुन करते आते भंवरेतब फूलों को चूमने लगते|बीती रात, भौरकाल आया | सुनकर आवाज चिडियों कीनींद से जागने जब लगतें हैं |पानी को लोटे में लेकरमुहं को धोने तब लगते हैं | भौरकाल समय जब होतालोग भ्रमण … Read more