आशा की किरण पर कविता की रचना की गई

एक किरण आशा कि देखी
वो भी आकर चली गई |
जो किरण सूरज ने दिखाई
वह बादलो में ढक कर रह गई|


सपना देखा या कल्पना थी,
ये भी सोचता रह गया |
भंवरे की भांति मैं तो
गुन गुन करता रह गया |
एक किरण आशा कि देखी |


टूटते हुए, चट्टानों को देखा
गिरते हुए झरनों को देखा |
डूबती हुई नाव को मैंने
पुनःनदियों में बहते देखा |


छोटी या बड़ी थी नदियाँ
उनका भी आकार था अपना |
सागर कितना विशाल क्यों न था
नदियों का भी जल था अपना |

जिन वृक्षों में छाया देखी
वो वृक्ष पतझड़ हो गऐ |
जिनसे की फल की आशा
उनमें फूल आतें ही झड़ गए |


न समय होता आने जाने का
न समय होता मिलन का |
जिस मेले में साथ खड़े हो
बस ये मेला दो पल का |


सपना देखा या कल्पना थी,
ये भी सोचता रह गया |
भंवरे की भांति मै तो
,गुन गुन करता रह गया |


एक किरण आशा कि देखी
वो भी आकर चली गई |
जो किरण सूरज ने दिखाई
वह बादलों में ढक कर रह गई |

आशा की किरण पर कविता की रचना की गई | प्रत्येक इंसान की अपनी अपेक्षाएं होती है और मानव जीवन में अपेक्षाएं एक दुसरे पर निर्भर करती है, वो अपेक्षाएं होती है,आशा की|
मनुष्य को जो आत्मविश्वास है हदय से निकला विश्वास जो कभी व्यर्थ नही जा सकता |
लेकिन कभी कभी वह भी गलत साबित हुआ है,आशाओं से भरा मानव जीवन में एक किरण सूर्य की होती है, कहते हैं कि कब रात खुले और कब सूर्य दिखे जिससे हमारे जीवन का अंधकार मिटेगा लेकिन रात भी ढलती है सूरज भी निकलता है, लेकिन बादल आकर फिर सूर्य को ढक देते है चारों ओर अंधकार ही अंधकार नजर आता है जीवन में भाग्य और लक्ष्मी दोनों का अपना प्रभाव है| ठीक इसी प्रकार जब तुम किसी से आस लगाते हो और वो आस तुम्हारी निराशा में बदल जाती है,तब एक आस शेष है, वो है , प्रमात्मा को
स्मरण करने की अक्सर आप सब हर दिन
घर में हो या मंदिर में भगवान की पूजा करते हो, अपना और अपने परिवार
का सुखी जीवन के लिए और पूजा करने के बाद आपके हदय से एक आशा की किरण
अवश्य दिखाई देती होगी| यह बात भी सच्च है जो तुम्हारा हैं उसे कोई छीन नहीं सकता जो तुम्हारा नहीं उसे प्राप्त करना मुश्किल होता है|
आपने कभी अपनी जन्म कुंडली किसी पंडित
को दिखाई | पंडित कहते हैं आप की कुंडली में राहु, केतु, व शनि का दोष चल रहा है, अब
आप सोचिए कि राहु ने भगवान सूर्य को भी नहीं छोड़ा मतलब यह है कि कुछ समय के लिए तुम्हारे काम में बिलम्ब हो गया यानि तुम्हारी जो सूर्य देव पर आस थी बादल ग्रहण के रूप में आकर उन्हें ढक गए|
सुंदर लेख पर प्रस्तुत की गई कविता आशा की किरण |
लेखक—मनवर सिंह

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