वनस्पतियों में पाई जाने वाली प्रजाति बिच्छू बूटी | –

पहाड़ी इलाकों में अनेक प्रकार की वनस्पति पाई जाती हैं |जिनमें से एक प्रजाति बिच्छू बूटी वनस्पति है, इसे उतराखंड की भाषा में कंडाली का पौधा कहा जाता है| पौधे की विशेषता — इस पौधे का आकार लगभग 2 से 4 फीट तक फैलता है और इसकी ऊचाई 3 से 5 फीट तक होती है ये पौधा अक्सर पानी के नजदीक जैसे झील, कुएं छोटी छोटी नदियाँ जहां पर पानी का स्रोत ,शीतल जलवायु वाले इलाके में पाई जाने वाला बिच्छू बूटी पौधा है |
बिच्छू बूटी करंट जैसा पौधा |इस पौधे को छूने से हाथों में झनझनाहट जैसा लगता है,
जिस तरह बिजली से करंट लगता है ठीक उसी तरह इस पौधे को छूने से करंट जैसा महसूस होता है, कुछ लोग इसे करंट का पौधा भी कहते हैं |

बिच्छू बूटी पौधे का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है|

पौधे के पत्तों से सब्जी बनाईं जाती है, इस पौधे की सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट होती है जब पौधे के पत्तों को सब्जी बनाने के लिए निकालते हैं उस वक़्त चमटा, कैंची के
सहारा लेते हुए बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है|
सब्जी बनाने के लिए पौधे के पत्तों का उपयोग किया जाता हैं पौधों से पत्तों को निकालते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पत्तों को चमटा से पकड़ कर कैंची से काट कर एक बर्तन में रखे जैसे जैसे पौधे से पत्ते काटते जाये पानी वाले बर्तन में डाले फिर इन पत्तों की सब्जी लोहा वाली कडाई में बनाये सब्जी बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि सब्जी में पानी न डाले जो पानी सब्जी से निकलेगा उसे एक अलग बर्तन में रख ले फिर सब्जी में मसाला डालकर खाएं जो पानी सब्जी से निकलता है, उस पानी को पीने से ब्लड में जो बीमारी वाले किटाणु उतपन्न होतें है वे नष्ट हो जाते हैं और ब्लड को साफ करने में पौधा के
पत्तों से जो पानी प्राप्त हुआ हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है|

बिच्छू बूटी एक जादुई पौधा है|

इस पौधे की मुख्य विशेषता यह भी है कि अगर किसी को भूत प्रेत आत्मा की साया पड़ जाए तो इस पौधे को दिखाकर भूत प्रेत आत्मा भी हट जाती हैं |
और पहाडों में लोग इसका प्रयोग बहुत करते
है इस पौधे के आसपास प्रेत आत्मा कभी नहीं आती लोग इस पौधे को अपने घर आंगन
में लगाते हैं यह पौधा एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है|

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