इस कविता की रचना कोरोना वायरसघटित घटनाओं पर की गई है

इस कविता की रचना कोरोना वायरसघटित घटनाओं पर की गई है संभलो वक़्त है बाकीवक़्त यू ही बीत न जाए!कितना धरती को खोदोगेकितना धूआं फैलाना बाकी॥संभलो वक्त है बाकी॥ कितनो का राख बन चुका कितने अभी बनेगे बाकी॥ जब गंगा जमुना भी पूछेगी अब प्रदूषित करना हमें है बाकी! हर दिन उड़ रहा है ,धुआँहर … Read more