कविता की रचना वक़्त पर कि गई |

आज बढते जा रहे होपर घमंड इतना न कर |उन दिनों को याद करलोजब थे तुम धरती के तल | राहो में बढते चलो तूमख्याल यह रखना तुम्हे |जो जमी पर गिर पड़े है,उन्हें भी उठाना है तुम्हे | सिर पर तुम्हारे हाथ जिनकाकुछ तो कर उनके लिए |जो लल्ला कर तुम्हे पुकारेमुहं न मोड … Read more

This poem is based on corona virus

This poem is based on corona extinguished lamp that comes from the earthYou left your identity!which used to shine till yesterdayabandoned railway tracksIn my! were walking to their villageSome were cycles in Rixos!tired of walkingLay down on the train tracks! The journey to the village was longtired of walkinglie down for a whileThey got cut … Read more

कविता एक वृद्ध अम्मा पर आधारित है!

कविता एक वृद्ध अम्मा पर आधारित है! थक गई अब संघर्ष करतेआया अन्त समय अब मेरा!चंद काल धरती पर हूँ !संध्या, हो या सवेरा! मरकर अर्थी पडीं रहेगीशोक मनाने लोग आयेगे!कुछ लोग हे, राम कहेंगेकुछ हाथ जोड़कर खड़ेरहेगें! लेटी थीं तब चली गईअर्थी उसकी पडी रही!लोग आएगे शोक मनानेमरते वक़्त अम्मा बोल गई! पुत्री रूप … Read more

ये कविता कोरोना पर आधारित है

ये कविता कोरोना पर आधारित है