ये कविता सुंदर वादियों पर आधारित है
सैलानी आये भ्रमण करने
कुछ आंनद लेने मौसम का!
कुछ झुलो में झुल रहे थे
नजारा देख रहा था मैं उनका!
छाये थे बादल आसमान में
घनघोर अँधेरा था धरती पर!
जब गिर रहीं थी जल की बूंदे
ठडंक पड़ रही थी तब धरती पर !
पहुचा जब झील झरनों में
देखा जल से मैंने नभ को!
लगी नजर चारों ओर मेरी
बादल छू रहे थे धरती को!
जब किया भ्रमण वादियों में
देखी हरियाली चारों ओर!
चल रही थी शीतल लहरे
जंगल थे वादियों में घनघोर!
बडे़ बड़ी पर्वत भी देखे
इनसे झरने टपक रहे थे!
कुछ वनों से घिरी हुई थी
कुछ हिम से ढकी हुई थी!
कहीं नाच रहा था मोर वन में
कही दौड़ रहे थे मृग वनों में!
उड़ रही थी टोली खगो की
खेल रही थी मछली जल में!
सैलानी आये भ्रमण करने
कुछ आंनद लेने मौसम का!
कुछ झूलों में झूल रहे थे
नजारा देख रहा था मैं उनका!
ये कविता सुंदर वादियों पर आधारित है, प्राकृति द्धारा बनाईं गई सुंदर वादियों का दृश्य
अदभुत है, जिन शिखरों से निकलते हुए झील झरने ऊची ऊची पहाड़ी उनमें चारों ओर से लहराते हुए वन और बर्फ से ढकी हुई चुटिया सुंदर सौंदर्य प्रकृति द्धारा बनाया गया है इन वादियों में हजारों लाखों की संख्या में लोग भ्रमण करने आते जाते हैं, इन वादियों का आंनद मैदानी इलाकों से अलग होता है, यहाँ पर पलभर में मौसम बदल जाता है पता नहीं लगता कब मौसम बदल जाय, यहाँ का मौसम हर वक़्त ठंडा रहता है, इन वादियों में चारों ओर हमेशा हरियाली फैलीं रहतीं है, ऊची ऊची चोटियों को देखकर लगता है जैसे कि गगन को छू रही हो इन्ही पहाड़ों में अनेक
प्रकार की औषधियाँ भी पायीं जाती है, सरकार द्वारा ऐसे स्थानो को पर्यटक स्थल घोषित किया गया, है! इन पर्यटक स्थलों से सरकारों को अच्छा आमदनी प्राप्त होती है !
लेखक मनवर सिंह
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