भीमल की छाल बालों में शैम्पू है। हिमालय के पर्वतीयं क्षेत्रों में अनेक प्रकार के औषधीय वृक्ष पाये जाते हैं, जो प्राकृतिक की देन है। इन्हीं वृक्षों में एक औषधीय वृक्ष भिमल है।
1- भीमल के वृक्ष पहाडों में सबसे अधिक पाये जाते हैं, ये वृक्ष अधिकतर पहाडों के गर्म इलाकों में होतें हैं, अक्सर पेड़ पौधे जलवायु के अनुकूल ग्रोथ करते हैं। इन भीमल के वृक्षों से अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होता है जो निम्न है,1– भीमल वृक्षों से पशुओं के लिए जो चारा प्राप्त होता है वह दुधारू पशुओं के लिए बहुत ही पौष्टिक आहार है।
2- भीमल की टहनीयो से जो छाल निकाली जाती हैं वो बालों में सैम्पू साबुन का काम करता हैं इससे बाल मजबूत मुलायम, होतें है और बालों को झड़ने से रोकता हैं इससे बाल सफेद नहीं होते इसलिए भीमल की छाल बालों के लिए बहुत लाभप्रद है।
3- भीमल की छाल रस्सी बनाने के काम मे आता है। भीमल की छाल से बनाई गई रस्सी बहुत मजबूत होती है। पहाडों में लोग आज भी इसी छाल से रस्सी बनाते हैं।
4- भीमल की छाल के अंदर जो लकड़ी होतीं हैं वह आग जलाने के काम आतीं है, इससे मोटी लकड़ी जल्दी आग पकड़ लेती है, पहाडों में इसे चील्ला भी कहते हैं।
5- भीमल की लकड़ी बहुत हल्की होती है, जिसके कारण इसमें दीमक जल्दी लग जाती हैं, दीमक के चलते भिमल की लकड़ी का उपयोग भवन,इमारतों पर नहीं होता है। जब पेड़ सुख कर गिर जाता हैं तब पेड़ की लकड़ी का उपयोग केवल ईंधन के लिए किया जाता है।
6-भीमल के वृक्ष के फल–इस वृक्ष के फल बहुत छोटे होते हैं, जब ये फल पकने लगते हैं, तब इनका रंग काला हो जाता हैं, खाने में ये फल स्वादिष्ट मीठें होतें हैं। नवम्बर, दिसम्बर के महीने में ये फल पकने लगते हैं।7
7-भीमल बालों मे शैम्पू हैं —भीमल की टहनीयो से छाल उतार ली जाती हैं इसी छाल से बालों को धोया जाता है जिससे बाल मुलायम और मजबूत रहते है साथ ही बालों को झड़ने से रोकता है, इससे बाल समय से पहले सफेद नहीं होतें हैं। ये बालों के लिए लाभदायक है और बालों में सैम्पू साबुन का काम करता है।
8-छाल का प्रयोग — पौधे से टहनीयो निकाल कर छाल निकाल लेते हैं ,फिर इस छाल को इमामदस्ते में हल्का हल्का कुटकर छाल के हिसाब से पानी डालते है, यदि छाल का गोला सौ ग्राम है तो पानी की मात्रा भी लगभग दो सौ ग्राम तक रहे इससे अधिक न हो रात्रि के समय जग या बाल्टी में डाल देते हैं, उससे जो शैम्पू निकलता है,उसे बर्तन में रख लेते हैं और छाल से सिर धो लेते हैं, जो शैम्पू बर्तन में रखा है उसका उपयोग अन्य दिनों में किया जाता है,ये सिर को ठंडक देता है। इससे किसी भी प्रकार से खराब असर नहीं होता है। इसका उपयोग सदियों से पहाडों में लोग करते आये है।
9-भीमल की छाल से रस्सी बनाने का तरीका— भीमल की टहनीयो को काटकर टहनीयो से पत्ते हटा दिऐ जाते हैं फिर टहनीयो की गठरी बांधकर कहीं तालाब या नदी के किनारे पर रख देते हैं बडे़ बडे़ पत्थरो से दबा दिया जाता है, कम से कम तीन सप्ताह के बाद टहनीयो से छाल निकाल ली जाती हैं, इसी छाल को धोने के बाद अंदर से जो सफेद रेसों निकलते हैं उन्हीं से रस्सी / जुड़ा बनाया जाता है, ये रस्सी बहुत मजबूर होतीं हैं ,पहाडों में इन्हीं जुडो से जानवरों को बांधा जाता है।