जब भगवान ब्रह्म जी ने सृष्टि की रचना की तब उन्होंने सम्पूर्ण जगत को ध्यान में रखते हुए, बडे़ बडे़ पहाड़, पर्वत , नदियों का निर्माण किया, साथ ही धरती पर अनेक प्रकार के पेड़ पौधों की प्रजातियों से धरती का सौन्दर्य बढाया। उनमें से एक वृक्ष रूद्राक्ष (Rudraksha) का है,जिसे सदाबहार वृक्ष के नाम से जाना जाता है, इस वृक्ष का उपयोग देश के विभिन्न क्षेत्रों में सजावटी वृक्षों के रूप में किया जाता है, ये वृक्ष नेपाल, इंडोनेशिया में पाये गये ,नेपाल का रुदाक्ष मोठा दाने वाला रुदाक्ष होता है और भारत में ये रुदाक्ष के वृक्ष बंगाल, असम, बिहार, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में पाया गया, जैसे जैसे इस वृक्ष का विस्तार हुआ, ये वृक्ष अब देश के अन्य राज्यों के मैदानी इलाकों में भी पाया जाता है,जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड इतियादि राज्यों में रुद्राक्ष के वृक्ष देखने को मिलतें हैं।
इस वृक्ष को हिंदू धर्म में भगवान शिव के साथ सम्बंधित किया जाता है , मान्यता के अनुसार इसके बीज में उपस्थित अनुदैर्ध्य लकीर इसकी मुखी विशेषता का प्रतीक है, इन लकीरों की संख्या 1 से 27 मुखी तक होती हैं
ऐसा विश्वाश किया जाता है कि रुदाक्ष के1से11मुखी तक के रुदाक्ष लाभदायक होतें है जिनका लोग अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं, कुछ रुदाक्ष पहनें से हानि भी होता है रुदाक्ष को हमेशा राशि के अनुसार ही धारण करते है,बीजों से बनीं माला पहने से व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक बल और आध्यात्मिक चेतना प्राप्त कर सकता हैं। आप सब ने देखा होगा अक्सर तपस्वी, साधु, संत भी रुद्राक्ष की माला का धारण करते हैं,आयुर्वेद के अनुसार रद्राक्ष का उपयोग रक्तचाप, अस्थमा मधुमेह मानसिक स्त्री रोग, और स्रायविक विकारों के इलाज में किया जाता है। आस्था से जुड़े इस वृक्ष को आयुर्वेद में भी लाभप्रद में देखा गया हैं। इसमें मुख्य रूप से 1 से लेकर 11 मुखी रुदाक्ष बहुत महत्वपूर्ण है, ये राशि से जुड़े हैं,
राशियों से ही मनुष्य के शरीर में अनेक प्रकार के कष्ट व बिमारियां उतपन्न होती हैं इन्हें दूर करने के लिए आस्था से जुड़े विकल्प ढूंढें जाते हैं, जो इस प्रकार है।
1- मुखी रुदाक्ष—॰एक मुखी रुदाक्ष भगवान शिव का स्वरूप जिनकी राशि सिंह से जुड़ी है उन लोगों को एक मुखी रुदाक्ष को पहना चाहिए ऐ बहुत शुभ होता है। इसे धारण करने से जिन लोगों को दमा, हड्डीयो में दर्द व
आखों की समस्या रहती हैं उन लोगों के लिए एक मुखी रुदाक्ष बहुत लाभ दायक है।
2- दो मुखी रुदाक्ष में भगवान शिव के साथ माता का स्वरूप है, इसलिए कर्क राशि वालों को दो मुखी रुदाक्ष से मन की शान्ति प्राप्त होता है।
3- मुखी रुदाक्ष से मंगल दोष के प्रतीक लाभदायक है,
4– मुखी रुदाक्ष ब्रह्मदेव का स्वरूप है, मिथुन और कन्या राशि वालों के लिए शुभ लाभदायक होता है,
5- मुखी रुदाक्ष को कालाग्नि कहते हैं, इससे मंत्रों की शक्ति प्राप्त होती साथ ही ज्ञान की प्राप्ति होती हैं,
6- मुखी रुदाक्ष नाम यस करने के लिए मुखी रुदाक्ष बहुत लाभदायक है, इसे धारण करने से समाज में आपका नाम यस होगा और समाज में आपको यस ही यस मिलेगा।
7- मुखी रुदाक्ष मकर या कुंभ राशि के प्रति अत्यंत लाभदायक है।
8- मुखी रुदाक्ष आठ देवी का स्वरूप है, इससे अष्टसिदिया की प्राप्ति होती हैं। आकस्मिक धन की प्राप्ति होती हैं।
11- मुखी रुदाक्ष की विशेषता–इससे धारण करने से संतान की प्राप्ति होगा, पति पत्नी एक पीले धागे में इस रुदाक्ष को गले में बांध ले इससे तेजस्वी संतान की प्राप्ति होगी।
रुदाक्ष की माला को गले में धारण करने से पहले कुछ समय पहले पानी में रुदाक्ष को रखे
फिर रुदाक्ष पर घी लगाकर तीन बार भगवान शिव के नाम का जप करें फिर माला को गले में डालें रात्रि के समय माला को गले से उतार दे या तो मंदिर में रख दे,, या किसी साफ़ जगह पर फिर दुसरे दिन धारण कर ले।