आज बढते जा रहे हो
पर घमंड इतना न कर |
उन दिनों को याद करलो
जब थे तुम धरती के तल |
राहो में बढते चलो तूम
ख्याल यह रखना तुम्हे |
जो जमी पर गिर पड़े है,
उन्हें भी उठाना है तुम्हे |
सिर पर तुम्हारे हाथ जिनका
कुछ तो कर उनके लिए |
जो लल्ला कर तुम्हे पुकारे
मुहं न मोड उनके लिए |
ज्ञान जिस गुरु ने दिया है
आभार गुरु का भी कर |
मार्ग जिसने तुम्हें दिखाया
उनका भी कुछ ख्याल कर |
साथ थे जो कलतक तुम्हारे
उन्हें भी भुलो न कभी |
आज जो मित्र है, तुम्हारे
पहचान करलो उनकी कभी |
आज बढते, जा रहे हो
पर घमंड इतना न कर |
उन दिनों को याद करलो
जब थे तुम धरती के तल |
कविता की रचना वक़्त पर कि गई |
बढते हुए समय में इंसान को कभी भी
अंहकार, घमंड नहीं करनी चाहिए |क्योंकि
वह एक ऐसा समय है जो इंसान को विनाश
कि ओर ले जाता है वही से पतन का समय शुरू होने लगता है, जिन्होंने तुमे जन्म दिया पालन पोषण किया तुम्हारे लिए हर दुख सहे उन्हें भी कभी भूलना नही चाहिए| उन्होंने बचपन में तुम्हें प्यार से अनेकों नाम से भी पुकारा| होगा उनकी देखभाल का दायित्व भी तुम्हारा है, किसी जरूरत मंद को अगर तुम्हारे से किसी भी मदद की आवश्यकता पडे़ तो अपने पुराने दिनों को याद करते हुए मदद करनी चाहिए |यह बहुत बड़ा परोपकार है गुरु की महिमा को भी कभी भूलना नही चाहिए, उन्होंने तुम्हें शिक्षा देकर समाज में बैठने योग्य बनाया तुम्हारी उंगली पकड कर लिखना सीखाया पढना सीखाया उठना बैठना सीखाया, इसलिए तुम कितने भी बडे़
क्यों न बन जाओ गुरु की शिक्षा का ऋण चुकाना बहुत असंभव हैं और कभी भी गुरु की आलोचना नही करनी चाहिए| सदैव उनका आदर करना चाहिए| क्यों की गुरु ने तुमे उन्नति का मार्ग दिखाया गुरु को हमेशा भगवान का दर्जा दिया गया है, |अपने पुराने मित्रों को भी भूलना नही चाहिए| न जाने वे तुम्हारें संकट के वक़्त कब काम आ जाये,और नया मित्र बनाने से पहले उसकी पहचान कर लेनी चाहिए ताकि तुमे पहले और बाद के मित्रों का अंतर पता चल सके|