आस्थिभंग बेल ——-आस्थिभंग एक औषधियाँ बेल है इस बेल का रोपण जिस मिट्टी में रेत होता है ऐसी मिट्टी में इस बेल का रोपण किया जाता हैं इस बेल फैलाने के साथ साथ इसका आकार बहुत घना होता जाता हैं | और एक बेल से अनेकों बेल बनने लगतीं है इस बेल की आकार के साथ लम्बाई बढकर पांच मीटर से अधिक हो जाती है जैसे बेल की लम्बाई बढती जाती है बेल पर 9 से 10 सेमी की दूरी पर गांठ बनतीं जाती है, इस तरह की गांठे मनुष्य के शरीर में पाई जाती हैं जिसे हम जोड़ भी कहते हैं जैसे घूटने, हाथ कंधे पर जब कभी शरीर के किसी भी भाग में हड्डी फैक्चर होता हैं उस वक़्त इस बेल की सहायता से फैक्चर पडी़ हड्डी को ठीक किया जा सकता है |
आस्थिभंग बेल का उपयोग—-हड्डीयां फैक्चर होने पर इस बेल का उपयोग करने से फैक्चर पडीं हडीयों को ठीक किया जाता है |
बेल से फैक्चर हडीयो का उपचार—–शरीर के किसी भी भाग में हड्डी फैक्चर होने पर इस बेल का लेप बनाकर हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर गर्म करके उस हिस्से पर लगाते हैं जिस हिस्से में हड्डी फैक्चर है , और उसके ऊपर पट्टी बांध देते हैं, इसी क्रम में कम से कम दो या तीन सप्ताह तक लेप लगातार लगाने व पट्टी बदलने से फैक्चर पडी हड्डी पर लगाया गया लेप अपना असर दिखाना शुरू कर देता है, यही इस बेल की मुख्य विशेषता है इस आस्थिभंग बेल को हडजोड़ के नाम से भी जाना जाता हैं|