बरसात के सीजन में चचेंडो की पैदावार पहाडी इलाकों में बहुत अधिक मात्रा में होती है ,प्रत्येक घर गाँव में चचेंडा की बेल पर आपको पहाडी सब्जी चचेंडा देखने को मिलेगा, पहाड़ो की मिट्टी चचेंडा की पैदावार के लिए बहुत उपयुक्त है।
बीज बोने का समय– चचेंडा मार्च माह के अंतिम दिनों में या अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में चचेंडा का बीज बोया जाता है। जुलाई के पहले दूसरे सप्ताह के दिनों में इसकी बेल पर चचेंडा लगना शुरू हो जाते हैं।यानि सौ दिनों में वेल पर सब्जी लगना शुरू हो जाता है। और अक्टूबर माह के आखिरी दिनों तक चचेंडा बेल पर लगते हैं।
चचेंडो की लम्बाई —चचेंडो की लम्बाई लगभग एक मीटर के आसपास तक बढ़ जाते हैं, खाने में चचेंडा की सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है, जब वेल पर चचेंडा लगने शुरू होते है तब एक साथ दर्जनों के हिसाब से लगने लगते हैं।
वेल की जड़ पर गोबर वाली खाद्य, पानी देने से चचेंडो की संख्या भारी मात्रा में बढ़ जाते हैं ,आपको फोटो देखकर आश्चर्य हो जायेगा एक साथ वेल पर इतनें सारे चचेंडो की संख्या है, शुरुआती सीजन में चचेंडे बहुत ज्यादा लगाते हैं बाद में इनकी संख्या में धीरे धीरे कमी आने लगती है।
चचेंडो की अवधि–मौसम के अनुरूप चचेंडा जुलाई से अक्टूबर के महीने तक ही लगते हैं, जैसे जैसे मौसम में परिवर्तन होने लगता है चचेंडा का साईज छोटा होने लगता है औरवेल धीरे धीरे सुखने लगती हैं। ये है पहाडों में उगने वाली सब्जी जिन्हें चचेंडा के नाम से जाना जाता हैं। ऐसे ही बहुत सारी सब्जीया हैं जो सीजन के अनुरूप पहाडो़ में उगाही जाती हैं, इसके अलावा कुछ सब्जीया ऐसी है जो जंगलों में पाई जाती हैं, जो प्राकृति देन हैं। इनमें खाद्य पानी देने की आवश्यकता नहीं ये कुदरत का करिश्मा है, इन जंगली सब्जीयो का भी अपना सीजन होता है, जो सीजन के चलते अपने आप उग आती हैं।