कविता एक वृद्ध अम्मा पर आधारित है!
थक गई अब संघर्ष करते
आया अन्त समय अब मेरा!
चंद काल धरती पर हूँ !
संध्या, हो या सवेरा!
मरकर अर्थी पडीं रहेगी
शोक मनाने लोग आयेगे!
कुछ लोग हे, राम कहेंगे
कुछ हाथ जोड़कर खड़े
रहेगें!
लेटी थीं तब चली गई
अर्थी उसकी पडी रही!
लोग आएगे शोक मनाने
मरते वक़्त अम्मा बोल गई!
पुत्री रूप मे जन्म लिया
बहु बनकर आई ससुराल!
जवानी के दिन हसंते बीते
बुढ़ापे में हुऐ, बेहाल!
नाता जोडा जिनसे मैने
वो मुझसे पहले चले गए!
मै तडपती रह गई,वो
मुझे अकेली छोड़ गए!
ममता ने जकडा मुझे
माया ने दौडाया मुझे!
प्यार ने बन्धन में बांधा
रिशतों ने रूलाया मुझे!
मै नहीं मरूगी शरीर मरेगा
चिता मे शरीर होगा मेरा!
आत्मा तो अमर आज भी
पंचतत्व में शरीर मिलेगा मेरा
मर कर भी जन्म लूगी मै
नाता फिर कही जोड़ोंगी!
शरीर हर जन्म में मरता
आत्मा नहीं मरती कभी!
मरने के बाद भी देखती रहुगी
तुम नहीं देख सकोगे मुझे
शरीर मिलेगा पंचतत्व में
दर्द देकर चली जाऊगी तुमे,
मैंने कही बार जन्म लिया
कितनो को जन्म दिया मैंने
कितने बार ये शरीर त्यागा
कही बार रिश्ते तोड़े मैंने
अम्मा लेटी थीं तब चली गई
अर्थी उसकी पडीं रही!
लोग आयेगे शोक मनाने
मरते वक़्व अम्मा बोल गई!
कविता एक वृद्ध अम्मा पर आधारित है!
मैंने स्वयं अम्मा की भावना को जाना जिस वक़्त देश में कोरोना काल चल रहा था उस वक़्त मैं एक वृद्ध अम्मा के पास बैठकर उनकी भावनाओं को जाना अम्मा ने अपने जीवन का उल्लेख करते हुए मुझे बताया अगर मैं कोरोना से मर गई तो कोई भी मेरे
पास तक खड़ा नहीं होगा ,दूर से ही हे राम कहते हुए चल जायेंगे, इंसान जब मरता है,
तो एक आत्मा बनकर रह जाता है जिसे हर
कोई नहीं देख सकता लेकिन मरने वाला व्यक्ति सभी जीवित इंसानों को देखता रहता है
आत्मा हर जन्म में मरती है, चाहिए इंसान के
जन्म में हो या किसी भी पशु पंक्षी यानि धरती
पर जितने भी जींव प्राणी है , मनुष्य का कोई भी जन्म स्थिर नहीं है आज मेरे से नाता है कल किसी और से होगा ये एक जीवन चक्र
है कब और कहा आत्मा को दुसरे जगह प्रवेश
करना है, मनुष्य का जीवन सदैव मोह ,माया,
लोभ, लालच से जकड़ा है, और मरने के बाद भी वो एक पितृ के रूप में पूजा जाता है, मरने वाला इंसान कहता है जब जब तुमे मेरी याद
आयेगी, तब तब तुम तड़पते रहोगे, ये शब्द
कविता में प्रयोग किया है, इस शब्द का बड़ा महत्व है, ये मां से जुड़ा है क्योंकि माँ के आंचल में जन्म लेने वाला व्यक्ति कभी भूल नहीं सकता! माँ ही कन्या है, माँ ही देवी है,
माँ ही जननी है! आपको हर हप्ते सुंदर लेख पर कविता प्रस्तुत की जायेगी!
लेखक मनवर सिंह